चारों तरफ बेरोजगारी ही बेरोजगारी । कब मिलेगा युवाओं को रोजगार?
उत्तर से पूरब तक देश का बेरोजगार युवा सड़क पर उतर आया है। उसकी आंखें लाल हैं, फिर भी वह क्रोधित नहीं है। वह निराश भी नहीं है। कुछ युवा नंगे पैरों ही आगे बढ़ रहे हैं। वे मस्त हैं, उनके साथ डीजे, लाउडस्पीकर हैं। सड़क पर कानफोड़ू संगीत के साथ नाचते गाते युवाओं की आगे बढ़ती टोलियां कहीं भी रुककर नाचने लगती हैं। इससे सड़क पर अपने गंतव्य को जा रहे राहगीरों, रोगियों को असुविधा होती है तो हो। परंतु कोई उपाय नहीं, लड़ने का मौका नहीं। युवाओं की इन टोलियों में कोई विदेशी तो है नहीं।सब अपने ही बाल बच्चे हैं। कुछ कहो तो अपने ही विरोध में उतर आएंगे। अपनी यात्रा में युवा सोफ्ट ड्रिंक से लेकर हार्ड ड्रिंक तक और बीड़ी तंबाकू से जड़ी बूटी तक सब आजमाते चलते हैं।लोग आश्चर्य करते हैं कि घर पर आलसी की तरह पड़े रहने वाले ये युवा रात दिन कैसे चल लेते हैं। जड़ी बूटी की खुराक इसीलिए होती है। युवाओं पर खुमार सिर चढ़ा हुआ है। गंतव्य निकट आता जा रहा है। पैरों में छाले और जगह जगह चमड़ी भी फट गई है। परंतु बेपरवाह युवा अभी भी नाच रहे हैं। मस्ती का यह अद्भुत प्रदर्शन है। युवा मां को लेकर आए हैं। अगले नो दिन मां के सहारे मौज में कटेंगे।
पत्रकार वसीम अहमद
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