ईमानदारी की मिसाल बने रमेश फोटोग्राफर Manali Rohtang Himachal Pradesh
दरअसल हुआ यह कि हम 5 नवंबर 2023 समय लगभग दोपहर के 1:00 बजे रोहतांग घूमने के लिए गए थे, वहां पर हमारी मुलाकात रमेश फोटोग्राफर से हुई जिन्होंने हमारे परिवार के बहुत ही सुंदर फोटो खींचकर हमारे मोबाइल में ट्रांसफर किए और हमें अपना नंबर देकर दूसरे ग्राहक के साथ व्यस्त हो गए, कुछ देर बाद रमेश फोटोग्राफर मेरे पास आए उन्होंने मुझसे और मेरे छोटे भाई से पता किया कि हमारा कोई सामान गुम तो नहीं हुआ है, हमारा कोई पर्स खोया तो नहीं गया है, हम दोनों भाइयों ने अपनी जेब को चेक किया तो हमारी जेब में हमारे पर्स थे, हमने रमेश जी से कहा कि हमारा पर्स गुम नहीं हुआ है और न ही हमारा कोई सामान गुम हुआ है, यह कहकर हम अटल टनल की ओर चले गए।
लगभग आधा घंटे के अंदर हम अटल टनल पहुंच गए वहां पर हमारे बच्चों को भूख लगी थी, हमारे बच्चों को कुछ खाना था, मेरी पत्नी ने जैसे ही दुकानदार को पैसे देने के लिए अपनी जैकेट में हाथ डाला तो जैकेट में पर्स नहीं था, मेरी पत्नी ने मुझे फोन किया तो में अपनी पत्नी से लगभग 300 मीटर की दूरी पर था, मेरी पत्नी ने मुझसे कहा कि मेरा पर्स आपके पास है क्या, मैंने कहा आपका पर्स मेरे पास में क्यों होगा, आप अपना पर्स अपने पास देखिए, यह कह कर मेरी पत्नी ने फोन काट दिया।
मैं अपनी पत्नी के पास में आया मैंने देखा कि मेरी पत्नी काफी टेंशन में थी और रो रही थी, मैंने अपनी पत्नी से कहा कि कोई बात नहीं रोना बंद करो पर्स खो गया, तो खो गया अब रोने से कोई फायदा नहीं है, तभी मुझे याद आया कि रमेश फोटोग्राफर ने मुझसे कई बार पूछा था कि सर आपका कोई सामान या पर्स तो गुम नहीं हुआ है, क्योंकि मेरे पास रमेश फोटोग्राफर का मोबाइल नंबर था तो मैंने उनके पास फोन किया, मैंने रमेश भाई से फोन पर बात करते हुए कहा कि आपने हमारा पर्स देखा है क्या, रमेश भाई ने कहा मेरे एक पर्स हाथ लगा है अगर आप मुझे उस पर्स की पहचान बताएंगे तो आपका पर्स आपको मिल जाएगा, मेरी पत्नी रमेश जी से बात की, मेरी पत्नी ने रमेश जी को अपने पर्स की पहचान बताई तो रमेश जी ने हमसे कहा कि आप आ जाओ आपका पर्स हमारे पास में है, हम जैसे ही अटल-टनल से रोहतांग की तरफ जाने लगे तो रास्ते में कोकसर शहर पड़ता है, वहां पर हमें चेकिंग पर तैनात पुलिस कर्मियों ने आगे जाने के लिए मना किया, कि आप लोग आगे नहीं जा पाओगे, आगे जाने कि आपको इजाज़त नहीं मिलेगी, हम निराश होकर वापस सोलंग वैली से होते हुए मनाली शहर पहुंच गए, मनाली शहर से हमने फिर रमेश जी को फोन किया कि रमेश जी हम रोहतांग नहीं आ पाए किया आप हमारा पर्स हमें मनाली दे सकते हैं, उन्होंने कहा आप शाम को लगभग 6:00 बजे हमें बाघ पेट्रोल पंप पर मिल जाना हम आपको आपका पर्स दे देंगे।
किसी कारणवश रमेश जी वहां पर आ नहीं आ पाए तो उन्होंने अपने मामा-मामी को पेट्रोल पंप पर भेजा वहां पर मेरी पत्नी और और मेरा छोटा भाई रमेश जी के मामा-मामी से मिले, उन्होंने हमारा पर्स सकुशल हमें सुपुर्द किया, जिसमें पूरे 21000 रुपए थे, मेरी लगभग 35 साल की उम्र है, मेरे जीवन में मैंने आज तक ऐसा ईमानदार व्यक्ति नहीं देखा, आज पता चला कि ऐसे ईमानदार लोगों की वजह से ही धरती पर सच्चाई और मानवता कायम है, वाकई में रमेश जी हमारे लिए एक ईश्वर का रूप साबित हुए, क्योंकि अगर हमारा पर्स हमें नहीं मिलता तो, हम तीन दिन का होटल किराया, और जो हमने ब्रेकफास्ट और डिनर किया था उसका पैसा हम कहां से देते और जिस टैक्सी से हम रोहतांग, अटल टनल और सोलंग वैली घूमने गए थे उसका 1800 सो रुपए किराया हम कहां से देते क्योंकि हमारा सारा पैसा पर्स में ही था।
हमारी पूरी यात्रा, हमारा पूरा टूर बर्बाद हो जाता अगर हमारा पर्स हमें नहीं मिलता तो इसलिए में तहे दिल से रमेश फोटोग्राफर और उनके मामा-मामी और उनके पूरे परिवार का दिल से धन्यवाद कहना चाहता हूं और विशेष तौर पर रमेश फोटोग्राफर के माता-पिता का धन्यवाद कहना चाहता हूं जिन्होंने रमेश जी को जन्म दिया और उनको इतने अच्छे संस्कार दिए।
ऐसे माता-पिता और ऐसे संस्कार ईश्वर पूरे संसार में सबको दें।
धन्यवाद
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